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MANGAL STOTRA , ऋण मोचक मंगल स्तोत्र

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ऋणमोचन मंगल स्तोत्र  💢💥 ऋणमोचन मंगल स्‍तोत्र || Rin Mochan Mangal Stotra || मङ्गलो भूमिपुत्रश्च || Mangalo Bhumiputrashcha 💥💢 भूमिपुत्र भगवान मंगलदेव ऋणमोचक हैं एवं सुखों को देने वाले हैं। जब किसी व्‍यक्ति पर कर्ज की स्थिति बहुत अधिक बढ़ जाये तब किसी शुभ शुभ तिथि से इसका अधिकाधिक पाठ प्रारम्भ करें। मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः। स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः ॥१॥ लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः। धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥२॥ अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः। व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥३॥ एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्। ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥४॥ धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्। कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥५॥ स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः। न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥६॥ अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल। त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥७॥ ऋणरोगादिदारिघ्र्यं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः। भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥८॥ अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः। तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश

सभी प्रकार के शारीरिक रोग और शत्रुओका नाश करने वाला नरसिंह भगवान् का यह कवच पाठ, आपके शरीर की रक्षा करता है और ऊपरी बाधाओंका शमन करता है

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नरसिंह कवच   सभी प्रकार के शारीरिक रोग और शत्रुओका नाश करने वाला नरसिंह भगवान् का यह कवच पाठ, आपके शरीर की रक्षा करता है और ऊपरी बाधाओंका शमन करता है विधि – नृसिंह कवच का मंगलवार, गुरुवार, शनिवार से पाठ शुरु करें, जो भी कार्य हो उसका संकल्प कर नित्य एक – २ पाठ करें जब आपका मनवांछित कार्य पूर्ण हो जावे तब नरसिंह भैरव के लिए सवासेर का रोट करें !! ॐ नमोनृसिंहाय सर्व दुष्ट विनाशनाय सर्वंजन मोहनाय सर्वराज्यवश्यं कुरु कुरु स्वाहा ! ॐ नमो नृसिंहाय नृसिंहराजाय नरकेशाय नमो नमस्ते ! ॐ नमः कालाय काल द्रष्टाय कराल वदनाय च !! ॐ उग्राय उग्र वीराय उग्र विकटाय उग्र वज्राय वज्र देहिने रुद्राय रुद्र घोराय भद्राय भद्रकारिणे ॐ ज्रीं ह्रीं नृसिंहाय नमः स्वाहा !! ॐ नमो नृसिंहाय कपिलाय कपिल जटाय अमोघवाचाय सत्यं सत्यं व्रतं महोग्र प्रचण्ड रुपाय ! ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं ॐ ह्रुं ह्रु ह्रु ॐ क्ष्रां क्ष्रीं क्ष्रौं फट् स्वाहा ! ॐ नमो नृसिंहाय कपिल जटाय ममः सर्व रोगान् बन्ध बन्ध, सर्व ग्रहान बन्ध बन्ध, सर्व दोषादीनां बन्ध बन्ध, सर्व वृश्चिकादिनां विषं बन्ध बन्ध, सर्व भूत प्रेत, पिशाच, डाकिनी शाकिनी, यंत्र मंत्रादी