पूर्णिमा और अमावस्या को चन्द्रमा का महत्व और उसके मानव जीवन पर प्रभाव
पूर्णिमा और अमावस्या को जिस प्रकार चंद्र की विभिन्न अवस्थाएं होती हैं उसी प्रकार पृथ्वी पर उसके प्रभाव की भिन्न-भिन्न अवस्थाएं होती हैं यह सिर्फ चंद्रमा की सफेदी तक ही सीमित ना होकर अन्य तक है जैसे आज हम बात करेंगे ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा को मन के रूप में देखा गया है।
जैसे-जैसे चंद्र पूर्णिमा तक और पूर्णिमा से अमावस्या तक बढ़ता है वैसे वैसे ही पृथ्वी वासियों पर अपना मानसिक प्रभाव छोड़ता है और यह प्रभाव महसूस किया जा सकता है।
मनुष्य जिस स्थिति में अर्थात जिन क्रियाकलापों में व्यस्त रहता है पूर्णिमा आने तक उसी कार्य में अत्यधिक मानसिक प्रबलता देखी जाती है इसी प्रकार अमावस्या का भी उतना ही प्रभाव व्यक्ति के मन पर देखा जा सकता है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि चंद्र का मानसिक स्थिति से बहुत गहरा संबंध होता है जैसा कि प्राय देखा जाता है कि समुद्र में जल भी भी चंद्र की स्थिति के अनुसार ज्वार भाटा के रूप में परिवर्तन दिखाता है उसी प्रकार चंद्र का भी हमारे जीवन में इसी प्रकार का प्रभाव है।
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